Sunday 1 January 2012

भाभी ने मुझे चोद दिया

हम सभी बच्चे घर के बाहर मैदान मे क्रिकेट खेल रहे थे। खेल के बीच मे मै भाग कर घर मे आ गया और एक तरफ़ चार दीवारी मे दीवार के पास सू सू करने लगा। मुझे नही पता था कि मुझे भाभी रसोयी की खिड़की मे से मुझे सू सू करते हुये घूर घूर कर देख रही थी। मेरी नजर ज्योही उधर गयी, भाभी ने मुझे मुस्करा कर देखा। भाभी तो उस समय चौबीस वर्ष की थी। शादी हुये तीन साल हो गये थे। वो अभी भी जीन्स पहनती थी, जिसमे से उनके गोल कसे हुये चूतड़ बड़े ही मोहक लगते थे। दिन को जब मैं भोजन पर घर आया तो भाभी ने मुझे बुला लिया। वो मुझे मुस्कराती हुयी कहने लगी
"अभी तो तुम सिर्फ़ चौदह साल के हो और बहुत शैतानी करने लगे हो"
"पर मैने तो कुछ भी नही किया …" मैने बहुत सादगी से कहा
"तुम्हारी जेब मे क्या है, इधर तो आओ" भाभी ने मुझे अंगुली से इशारा किया
"कुछ नही है भाभी, सच मे"
पर भाभी ने मेरी बांह पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। मुझे जरा भी समझ मे नहीं आया कि भाभी मेरी जेबें क्यो देखना चाहती है। उन्होने मेरी जेब मे हाथ घुसा लिया और जेब टटोलने लगी। पर उनक हाथ तो मेरी सू सू से टकरा रहा था। मुझे एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी। मेरी लुल्ली उनके स्पर्श से खड़ी होने लगी थी।
"ये क्या है बोलो, डण्डा छिपा रखा है, बोलो" भाभी ने मेरी लुल्ली पकड़ ली।
"भाभी, ये डण्डा नही है, ये तो मेरी लुल्ली है"
"इतनी बड़ी … झूठ !"
"सच, ये लुल्ली ही है" मुझे गुदगुदी होने से अच्छा लगने लगा था।
"चल रे झूठा, अच्छा जरा निकाल कर दिखा तो"
"ओ भाभी, पहले खाना तो दे दो, फिर आकर बता दूगा" मै भाग कर रसोयी मे आ गया। मुझ भाभी की ये हरकत बहुत अच्छी लगी थी। दिल मे रोमांच भर आया था। मैं भोजन करके वापस खेलने चला गया। पर अब मेरा दिल खेलने मे नहीं लग रहा था। मै बार बार रसोयी की तरफ़ देख रहा था। तभी खिड़की पर मुझे भाभी की एक झलक मिली। मैं भाग कर फिर वहीं सू सू करने आ गया। भाभी मुझ खिड़की से फिर घूर घूर कर देखने लगी। इस बार मैने सू सू का थोड़ा सा एण्ग़ल बदल कर भाभी की ओर कर दिया था ताकि उन्हे मेरी सू सू पूरी दिख जाये। एसा करते हुए मेरी सू सू खूब कड़ी हो गयी थी। फिर मै वापस खेलने चला गया। पर मेरा मन तो भाभी की हरकतो पर था। मुझे अधिक समझ तो नहीं थी पर मुझे ये सब अजीब पर मनभावन सा लग रहा था। मन कर रहा था कि दौड़कर भाभी के पास चला जाऊ।
फिर कुछ देर बाद मै खेल छोड़ कर घर आ गया। भाभी तो घर के कपड़े पहने हुये थी। बस एक गाऊन डाल रखा था उन्होने। वो मुझे देखते ही खुश हो गयी। मै दौड़ कर उनके साथ सोफ़े पर बैठ गया।
"तुने मुझे अपनी लुल्ली नही दिखायी रे नन्दू" भाभी ने छूटते ही पूछा
"शरम आती है ना भाभी" मैने भाभी की गोदी मे अपना चेहरा छिपा लिया
"अरे चल मर्द थोड़े ही ना शर्माते है, चल पेण्ट उतर कर बता तो" भाभी की नीयत मुझ पर खराब होती जा रही थी। भाभी ने मेरी हाफ़ पेण्ट की बटन खोल दी और पेण्ट नीचे खींचने लगी। मैने जान कर के कोई विरोध नही किया। मेरी लुल्ली बाहर निकल आयी।
"हाय राम नन्दू! तेरी लुल्ली है या लुल्ला, इतनी बड़ी" वो तो मेरी लुल्ली पर मोहित सी हो गयी।
"इसको बड़ी कहते है क्या ? " मुझे भी ये सुन कर आश्चर्य हुआ। भाभी ने मेरी लुल्ली को छू लिया और थोड़ा सा हिला दिया। मेरी लुल्ली एक दम तन गयी। यू तो मेरी लुल्ली कई बार खड़ी हो जाती थी पर आज उसमे एक मीठी सी उत्तेजना थी।
"भाभी, ऐसे करने से तो बहुत मजा आता है, और करो ना"
"देख किसी को कहना नहीं, लुल्ली के तो बहुत से खेल है और पता है नन्दू ,बहुत मजा आता है"
"सच भाभी, तब अपन चुपके चुपके से खेलेंगे, खूब मजा आयेगा ना" मैं भी बहुत उत्साह मे भर गया।
"देख लुल्ली को यू आगे पीछे करने से मजा आता है ना और देख शरमाना मत, तू कहेगा तो तुझे यहां से दुद्धू भी पिलाउंगी और… देख तुझे मेरी कसम है … किसी को ना कहना" भाभी को थोड़ा सा संकोच हो आया।
"तो मुझे दुद्धू पिलाओ … कैसे पीते है"
"देख एक हाथ से इस दुद्धू को अंगुलियो से ऐसे ऐसे मलना और अपने मुख से दूसरे वाले को खींच खींच कर पीना"
"अरे वाह, ऐसे तो खूब मजा आयेगा"
भाभी ने अपना गाऊन सामने से खोल दिया और सोफ़े पर से मुझे अपनी छाती की ओर खींच लिया। उनके नरम बोबे मेरे चेहरे पर रगड़ से मार गये और फिर उन्होने मेरा एक हाथ दायी चूंची पर रख दिया और बायीं चूंची मेरे मुख मे डाल दी। मैं बोबे को जितना चूसता, उतना ही वो सी सी करती। फिर भाभी ने मुझे सोफ़े से उठा कर अपनी बायीं जांघ पर बैठा लिया और मेरा लण्ड पकड़ लिया। मेरा लण्ड किसी अनजाने सुख से बहुत कड़कने लगा था। उन्होने मेरे लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करके मुठ मारने लगी। इस अनोखे आनन्द से उसके दुद्धू मेरे मेरे मुख से निकल गये। आनन्द के मारे मै सिसकिया लेने लगा। मुझ पर मस्ती चढते देख कर भाभी ने मुठ मारने की गति तेज कर दी। अनन्द के मारे मैं तो दोहरा होने लगा। मुझे आनन्दित देख कर उनका जोश भी बढ गया। वो मुझे प्यार करती हुयी, मुझे लिपटाती हुयी बड़ी कोमलता से जल्दी जल्दी हाथ चलाने लगी।
"अह्ह्ह, भाभी, मुझे कुछ हो रह है, मेरा पेशाब निकलने वाला है … जरा रुको मै मूत कर आता हू"
"मजा आ रहा है ना, यही मूत देना …"
वो अब मेरा लण्ड दबा दबा कर लण्ड को आगे पीछे करके मुठ मार रही थी। तभी रोकते रोकते भी मेरे लण्ड से एक फ़ुहार निकल पड़ी। मेरा लण्ड जोर जोर से पिचकारी छोड़ने लगा। भाभी लण्ड को हाथ मे लेकर मेरा वीर्य निकालने मे लगी रही। फिर जैसे तूफ़ान गुजर गया था। मैं भाभी की जांघ पर बैठा हुआ, ओर जोर की सांसे भर रहा था। ये मेरा जिन्दगी क पहला स्खलन था। किसी ने मुझे पहली बार मस्ती का ये नया तरीका बताया था।
"मजा आया ना नन्दू … ऐसे ही मस्ती भरे और भी खेल है। पर देख शाम को नहा कर आना। मेरे साथ ही सोना"
"मम्मी तो मना कर देगी ना"
"वो मैं सब कर लूंगी, तू अब जाकर खेल"
पर मेरा मन अब खेलने मे नही लग रहा था। भाभी ने मां से कह दिया था कि भैया तो बाहर गये हुये है, नन्दू को उन्ही के कमरे मे सुला देना तो डर नहीं लगेगा। भला उन्हे क्या आपत्ति थी।
रात को मै नहा धो कर भाभी के पास चला आया। भाभी ने कमरे की लाईट बुझा दी और मुझे अपने साथ सुला लिया। भाभी ने तो गाउन अन्धेरे मे उतर एक तरफ़ रख दिया।
"भाभी, आप तो बिलकुल नंगी हो गयी"
उन्होने मेरे होंठो पर अंगुली रख दी
"श्… श … कोई सुन लेगा, धीरे बोल, अरे अंधेरे मे कौन देखता है, तू भी उतार ले, फिर खेलेंगे"
मैने जल्दी से अपनी कमीज और हाफ़ पेण्ट उतार दी। अब मै भी नंगा था। मेरा किशोर शरीर, नरम और गुदाज था। मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मै तो अपने आप ही भाभी की चूत की तरफ़ चिपकने सा लगा था। जाने क्यू ? शायद ये प्राकृतिक है, लण्ड अपना साथी तलाश रहा था। भाभी ने मुझे अपने नरम शरीर से चिपका लिया। उनके शरीर की भीनी भीनी सुगन्ध आने लगी थी। तभी मेरा लण्ड कही पर टकराया। भाभी ने मेरा लण्ड थाम कर उसका सुपाड़ा खोल दिया और जाने किस छेद मे, शायद सू सू मे कही घुसाने लगी। मेरी कमर लण्ड को उसके शरीर पर दबाने के लिये उस पर कसी जा रही थी। अब भाभी ने भी अपनी गीली और चूत मे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत मे भीतर सरका लिया। मुझे एक दम से लण्ड पर कुछ गीला गीला सा और चिकना सा अहसास हुआ। पर उसके भीतर सरकते जाने का अहसास बहुत ही मधुर था। तभी मैने जोश मे आकर और भाभी ने भी एक साथ अपनी अपनी कमर जोश मे चला दी। एक हल्की सी तीखी चुभन के साथ मेरा लण्ड बहुत अन्दर तक चला गया। जाने मजा आ रहा था या जलन सी हो रही थी। कुछ असमंजस की स्थिति थी। कुछ देर भाभी ने रुक कर मुझे चूमा चाटा। पर मैने उतावलेपने मे एक धक्का और दे दिया। मुझे फिर वही अजीब सी चुभन और जलन सी हुयी। पर भाभी मुझे इतने प्रेम से सहला रही थी कि मुझे वो जलन भी मजा दे रही थी। फिर धीरे धीरे भाभी ने मुझे अपने ऊपर ले लिया।
'नन्दू, अब मजा आयेगा, लुल्ली को अन्दर धक्का मार…"
मैने जलन के बारे मे उन्हे कुछ नही बताया पर शायद वो मेरी तकलीफ़ मेरे हाव भाव से जान गयी थी। मैने उसके ऊपर चढ कर भाभी को चोदना आरम्भ कर दिया था। उसकी सिसकिया तेज हो रही थी। मैं भी अब आनन्द से सरोबार हो गया था। मैं ऊपर चढा उसे तेजी से चोदने लगा था। दोनो ही वासना भरी मस्ती मे खो गये थे। कुछ देर बाद भाभी के मुख से एक हल्की सी चीख निकल गयी। वो झड़ गयी थी। तभी मै भी झड़ने लगा था।
उस रात भाभी ने मुझे तरह तरह के आसनो से चोदना सिखाया, गाण्ड भी दो बार मरवा ली। मेरी उभरती हुयी जवानी को बस निचोड़ कर रख दिया। उन्होने मेरे लण्ड को अपने मुख मे लेकर खूब चूसा, अपनी खुशबूदार चूत को भी मुझसे खूब चटवाया। अपने जिस्म को सभी तरह से नुचवाया मुझसे। उस दिन मै दिन के दस बजे तक सोता रहा।
अब तो भाभी हर रात मुझे खूब अनन्दित करती और खुद भी बहुत मजे करती। मै तो जैसे उनका गुलाम हो गया था। मै किशोरावस्था मे ही जवानी का खेल सीख गया था और मै एक नयी राह की ओर बढ चला था।

भाभी ने चोदना सिखाया

मै उस समय 15 साल का था। मेरे लंड पर बाल उग आए थे। मै अक्सर रात को अपने बिस्तर पर नंगा लेट कर अपने लंड के बाल को सहलाया करता था। एवं अपने लंड को खड़ा कर उसे सहलाता रहता था। एक रात मै अपने लंड को सहला रहा था । उसमे मुझे बहूत आनंद आ रहा था। अचानक मै जोर जोर से अपने लंड को अपने हाथ से रगड़ना शुरू किया । मुझे ऐसा करना बहूत अच्छा लग रहा था। अचानक मेरे लंड से मेरा माल निकलने लगा । उत्तेजना से मेरी आँखे बंद हो गई। 5-6 मिनट तक मुझे होश ही नही रहा। ये मेरा पहला मुठ था। इसके पहले मुझे इसका कोई अनुभव नही था। मै बाथरूम में जा कर अपने लंड को धोया और बेड पे आया तो मुझे गहरी नींद आ गई।
अगली सुबह मै अपने रूम से बाहर निकला तो देखा की भइया अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहे हैं। उनकी शादी हुए 2 साल हो गए थे। भाभी मेरे साथ बहूत ही घुली मिली थी। मै अपनी हर प्रोब्लम उनको बताया करता था। मेरे माता-पिता भी हमारे साथ ही रहते थे। थोडी देर में भईया अपने ऑफिस चले गए। पिता जी को कचहरी में काम था इस लिए वो 10 बजे चले गए। मेरे पड़ोस में एक पूजा था सो माँ भी वहां चली गई। मैंने देखा की घर में मेरे और भाभी के अलावा कोई नही है। मै भाभी के रूम में गया। भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। मै उनके बगल में जा कर लेट गया। मेरे लिए ये कोई नई बात नही थी। भाभी को इसमे कोई गुस्सा नही होता था। भाभी ने करवट बदल कर मेरे कमर के ऊपर अपना पैर रख कर अपना बदन का भार मुझे पे डाल दिया
और कहा- क्या बात है राजा जी ? आप कुछ परेशान लग रहें हैं।

भाभी अक्सर मेरे साथ ऐसा करती थी।

मैंने कहा- भाभी कल रात को कुछ गजब हो
गया। आज तक मेरे साथ ऐसा नही हुआ था।

भाभी ने पुछा- क्या हुआ?

मैंने कहा - कल रात को मेरे लंड से कुछ
सफ़ेद सफ़ेद निकल गया। मुझे लगता है कि मुझे डाक्टर के पास जाना होगा।

भाभी ने मुस्कुरा के पुछा- अपने
आप निकल गया?

मैंने कहा - नही , मै अपने लंड को सहला रहा था तभी ऐसा हुआ।

भाभी ने कहा- राजा बाबू
अब आप जवान हो गए हो। ये सब तो होगा ही।लगता है कि मुझे देखना होगा।

भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड के
ऊपर रख दिया। तथा धीरे धीरे इसे दबाने लगी। इस से मेरे लंड खड़ा होने लगा।

भाभी बोली- जरा दिखाइए तो सही


मै कुछ नही बोला। मैंने धीरे से अपने पेंट का बटन खोल दिया। भाभी ने मेरे पेंट को नीचे की ओर खींचा और उसे
पूरी तरह खोल दिया। अब मै सिर्फ़ अंडरवियर में था। भाभी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लंड को सहला रही थी।

बोली- क्या इसी से कल रात को सफ़ेद सफ़ेद निकला था?

मैंने कहा - हाँ।

भाभी ने कहा - अंडरवियर खोलिए।

मैंने कहा - क्या भाभी, आपके सामने मै अपना अंडरवियर कैसे खोल सकता हूँ?

भाभी बोली - अरे जब आप मेरे
को अपना पूरा प्रोब्लम नही बतायेगे तो मै कैसी जानूंगी कि आपको क्या हुआ है? और मुझे क्या शर्माना? अपनों से कोई शर्माता है भला? जब आपके भइया को मेरे सामने अपने कपड़े खोलने में कोई शर्म नही है तो फिर आप क्यों शरमाते हैं?

मै इस से पहले की कुछ बोलता भाभी ने मेरा अंडरवियर पकड़ कर अचानक नीचे खींच लिया। मेरा
लंड तन के खड़ा हो गया। भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया.
और कहा - अरे राजा बाबू आप तो बहूत जवान हो गए हैं।

भाभी मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी। मेरे लंड से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा । अचानक
भाभी मेरे को जकड कर नीचे की तरफ़ घूम गई। इस से मै भाभी के शरीर पर चढ़ गया। भाभी का शरीर बहूत ही मखमली था।
भाभी ने मुझसे कहा - मुझे चोदियेगा?

मै कहा - मै नही जानता।

भाभी ने मेरे शरीर को पकड़
लिया और कहा - मै सीखा देती हूँ। पहले मेरा ब्लाउज खोलिए।

मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया । भाभी का चूची
एकदम सफ़ेद सफ़ेद दिख रहा था। मैंने कभी सोचा भी नही था कि भाभी का चूची इतना सफ़ेद होगा। मै भाभी के चूची को ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा।

भाभी ने कहा - ब्रा तो खोलिए तब ना मज़ा आएगा।

मैंने भाभी की ब्रा भी
खोल दिया। अब भाभी का समूचा चूची मेरे सामने तना हुआ खड़ा था। मैंने दोनों हाथो से भाभी की चूची को पकड़ लिया और
कहा - क्या मस्त चुच्ची है आपकी भाभी?

मै भाभी के चुचियों को धीरे धीरे दबा रहा था ।

अचानक भाभी
ने कहा - मेरी साड़ी खोलिए ना तब और भी मज़ा आएगा।

मैंने एक हाथ से भाभी की साड़ी खोल दिया। भाभी अब
सिर्फ़ पेटीकोट में थी।

फ़िर
मैंने भाभी को कहा - क्या पेटीकोट भी खोल दूँ?

भाभी बोली - हाँ।

मै बैठ कर भाभी का
पेटीकोट का नाडा खोला और झट से उतर फेंका। अब मेरे सामने जो नजारा था मै उसकी कल्पना सपने में भी नही कर सकता था। भाभी का बुर एकदम सफ़ेद सा था। उसपर घने घने बाल भी थे। मै भाभी के बुर को देख रहा था। कितना बड़ा बुर था। बुर के अन्दर लाल लाल छेद दिख रहा था।
मैंने भाभी को कहा - आपको भी बाल होता है?

भाभी सिर्फ़ मुस्कुराई।

भाभी बोली - छु कर तो देखिये।

मै भाभी के बुर को धीरे धीरे छुने लगा। भाभी बुर का बाल
मै एक तरफ़ कर के मै उसे फैला के देखने की कोशिश करने लगा कि ये कितना बड़ा है। मुझे उसके अन्दर छेद नजर आ रहा था।

भाभी से मैंने पुछा - भाभी , ये छेद कितना गहरा है?

भाभी ने कहा - ऊँगली डाल के देखिये न?

मै
बुर में ऊँगली डाल दिया। मै अपनी ऊँगली को भाभी के बुर में चारों तरफ़ घुमाने लगा। बहूत बड़ा था भाभी का बूर। मै बूर से ऊँगली निकाल के भाभी के शरीर पे लेट गया। भाभी ने अपने दोनों पैर को ऊपर उठा के मेरे ऊपर से घूमा के मुझे लपेट लिया। मै भाभी के शरीर को जोर से पकड़ लिया। मेरी साँसे बहूत तेज़ हो गई थी। मेरा सारा छाती भाभी के चूची से रगड़ खा रहा था। भाभी ने मेरे सर को पकड़ के अपने तरफ़ खींचा और अपने होठ को मेरे होठ से लगा दिया। मै भी समझ गया कि मुझे क्या करना है? मै काफी देर तक भाभी के होठो को चूमता रहा। चुमते चुमते मेरे शरीर में उत्तेजना भरती गई। मै भाभी के होठ को छोड़ कर कुछ नीच आया और भाभी के चूची को मुह में ले कर काफ़ी देर तक चूसता रहा। भाभी सिर्फ़ गर्म साँसे फेंक रही थी। फिर भाभी अचानक बैठ गई और मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। मै लेट कर भाभी का तमाशा देख रहा था। भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू किया। वो मेरी लंड के सुपाडे को ऊपर नीचे कर रही थी। मै पागल हुआ जा रहा था। भाभी ने अचानक मेरे लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी। पूरे मुंह में मेरा लंड घुसा ली। मै एकदम से उत्तेजित हो गया।

मैंने भाभी को कहा- भाभी, प्लीज ऐसा मत कीजिये।

लेकिन भाभी नही मानी। वो मेरे लंड को अपने मुंह में
पूरा घूसा ली। अचानक मेरे लंड से माल निकलने लग गया। मेरी आँखे बंद हो गई। मै छटपटा गया। सारा माल भाभी के मुंह में गिर रहा था लेकिन भाभी ने मेरे लंड को अपने मुंह से नही निकाला। और मेरा सारा माल भाभी पी गई। 2-3 मिनट के बाद मुझे होश आया। देखा भाभी मेरे शरीर पर लेटी हुआ है और मेरे होठों को चूम रही है।

भाभी बोली- ऐसा ही माल निकला था रात में?

मैंने कहा - हाँ भाभी.

भाभी ने कहा- ये तो जवानी की निशानी है मेरे देवर जी. अब आप जवान हो रहे हैं.

मैंने कहा- अब मै जाऊं भाभीजी ?

भाभी
बोली - अरे वाह राजा जी अभी तो खेल बाकी है।अब जरा मुझे चोदिये तो सही।

मै बोला- क्या अभी भी कुछ बाकी है? लेकिन मै भी कुछ करना चाहता हूँ.

भाभी बोली - आप क्या करना चाहते हैं?

मै बोला - जिस तरह से आपने मेरे लंड को चूसा
उसी तरह से मै भी आपके बूर को चूसना चाहता हूँ।

भाभी बिस्तर पे लेट कर अपनी दोनों पैर को अगल बगल फैला दिया। अब मुझे भाभी का बुर का एक एक चीज साफ़ साफ़ दिख रहा था। मै नीच झुक कर भाभी के बुर में
अपना मुंह लगा दिया। पहले तो बूर के बाल को ही अपने मुंह से खींचता रहा। फ़िर एक बार बुर के छेद पर अपने होठ रख कर उसका स्वाद लिया। बड़ा ही मज़ा आया। मै और जोर से भाभी के बुर को चूसने लगा। चूसते चूसते अपनी जीभ को भाभी के बूर के छेद के अन्दर भी घुसा दिया। भाभी को देखा तो वो अपनी आँख बंद कर के यूँ कर रही थी जैसे कि कोई दर्द हो रहा है।तभी भाभी के बुर से हल्का हल्का पानी के तरह कुछ निकलने लगा। मैंने उसका स्वाद लिया तो मुझे कुछ नमकीन सा लगा. थोडी ही देर में मेरा लंड तन के खड़ा हो गया था। मै भाभी के होठ को चूमने के लिए जब उनके ऊपर चढा तो मेरा लंड उनके बुर से सट गया। भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और
कहा - राजा जी अब मुझे चोदिये न ।

मैंने कहा - मगर कैसे भाभीजी? क्या और भी मज़ा हो सकता है?

भाभी धीमे से
मुस्कुराई और कहा - अब तो असली मज़ा बांकी है।

मै कहा - क्या करुँ?

भाभी बोली - अपने लंड को मेरे बूर में
डालिए।

मैंने कहा - इतना बड़ा लंड आपके बुर के इतने छोटे से छेद में कैसे घुसेगा?

भाभी बोली- आप डालिए तो
सही।

भाभी ने अपने दोनों पैरों को और फैलाया। और मेरे लंड को पकड़ के अपने बूर के छेद के पास लेते आई।

बोली- घुसाइए.

मैंने संदेह्पुर्वक अपने लंड को उनके बूर के छेद में घुसना शुरू किया। ये क्या? मेरा सारा का सार लंड
उनके बूर में घूस गया। मुझे बहूत ही मज़ा आया। भाभी को देखा तो उनके मुंह से सिसकारी निकल रहा था। मैंने डर के मारे झट से अपने लंड को उनके बूर से बाहर निकल लिया।

भाभी ने कहा - ये क्या किए?

मैंने कहा- आपको दर्द
हो रहा था ना?

वो बोली- धत , आपके भइया तो रोज़ मुझे ऐसा करते हैं। इसमे दर्द थोड़े ही होता है। इसमे तो मज़ा
आता है। चलिए डालिए फ़िर से अपन लंड मेरे बूर के छेद में।

मै इस बार अपने लंड को अपने से ही पकड़ कर भाभी
के बूर के छेद के पास ले गया और पूरा पूरा लंड उनके बूर में घूसा दिया। भाभी के मुंह से एक बार फ़िर सिसकारी निकली। मै उनके बुर में अपना लंड डाले हुए 1 मिनट तक पड़ा रहा। मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि अब क्या करना है। मै अपने दोनों हाथो से भाभी के चुचियों से खेलने लगा।

भाभी बोली- खेल शुरू कीजिये ना।

मै
बोला- अब क्या करना है?

भाभी बोली - चोदना शुरू कीजिये ना।

मै बोला- अभी भी कुछ बांकी है? अब क्या करुँ?

भाभी बोली - मेरे बुध्धू राजा बाबू ! अपने लंड को धीरे धीरे मेरे बूर में ही आगे पीछे कीजिये।

मै बोला - समझा
नही।

भाभी बोली- अपने कमर को आगे पीछे कर के अपने लंड को मेरे बूर में आगे पीछे कीजिये।

मै
ऐसा ही
किया। अपने कमर को आगे पीछे कर के लंड को भाभी के बूर में अन्दर बाहर करने लगा। भाभी का शरीर एंठने लगा।

मै बोला कि - निकाल लूँ क्या?

भाभी बोली - नही। और जोर से चोदिये।

मै भाभी के कमर को अपने हाथ से
पकड़ लिए और अपने लंड को उनके बूर में आगे पीछे करने लगा। मुझे अब इसमे काफ़ी मजा आ रहा था। मेरा लंड उनके बूर से रगडा रहा था। मै पागल सा होने लगा। 5 मिनट तक करने के बाद देखा कि भाभी के बुर से पानी निकल रहा था। भाभी अब निढाल सी हो रही थी। मै भाभी के शरीर पर लेट कर उनकी चोदाई जारी रखी।

भाभी
बोली - जल्दी जल्दी कीजिये राजा जी ।

मै बोला - कितनी देर तक और करुँ?

वो बोली - मेरा तो माल निकल
गया है। आपका माल जब तक नही निकलता तब तक करते रहिये।

मैंने और जोर जोर से उनको चोदना जारी कर
दिया। उनका सारा शरीर मेरे चोदाई के हिसाब से आगे पीछे हो रहा था। उनकी चूचियां भी जोर जोर से हिल हिल कर ऊपर नीचे हो रही थी। मुझे ये सब देखने में बहूत मज़ा आ रहा था। मै सोच रहा था कि ये चोदाई का खेल कभी ख़तम ना हो। तभी मुझे लगा कि मेरे लंड से माल निकलने वाला है।

मै
भाभी को बोला- भाभी मेरा लंड से माल निकलने वाला है।

भाभी बोली - लंड को बुर से बाहर मत निकालिएगा। सब माल बुर में ही गिरने दीजियेगा।

मैंने
उनको चोदना जारी रखा। 15-20 धक्के के बाद मेरे लंड से माल निकलना शुरू हो गया। मेरी आँख जोरो से बंद हो गई। मैंने अपने लंड को पूरी ताकत के साथ भाभी के बूर में धकेलते हुए उनके शरीर को कस के पकड़ के उनको लिप्त कर उनके ही शरीर पर गिर गया।

बोला - भाभी , फ़िर माल निकल रहा है।

भाभी ने मुझे कस के पकड़ के मेरे
कमर को पीछे से पकड़ कर अपने तरफ़ नीचे की ओर खींचने लगी। 2 मिनट तक मुझे कुछ होश नही रहा। आँख खुली तो देखा मै अभी भी भाभी के नंगे शरीर पे पड़ा हूँ। भाभी मेरे पीठ को सहला रही थी। मेरे लंड से सारा माल निकल के भाभी के बुर में समां चुका था। मेरा लंड अभी भी उनके बुर में ही था।

मै उनके चूची पर अपने सीने के
दवाब को बढ़ते हुए कहा- क्या इसी को चुदाई कहते हैं?

भाभी बोली - हाँ, कैसा लगा?

मै कहा - बहूत मज़ा आता है । क्या भईया आपको ऐसे ही चोदते हैं?

वो बोली- हाँ,

मैंने पूछा- क्या भैया आपको हर रात को चोदते हैं?

भाभी बोली-हाँ, लगभग
हर रात को ।

मै कहा - क्या अब मुझे आप चोदने नही
दोगी?

वो बोली- क्यों नही? रात को भइया की पारी और दिन में तुम्हारी पारी।

मैंने कहा- ठीक है।

भाभी बोली - जब तुम्हे मुझे चोदने का मौका नही मिले अपने हाथ से ही लंड को सहला लेना और माल निकाल लेना।

मैंने कहा - ठीक है।

उसके बाद मैंने अपना लंड को उनके बुर से निकाला। भाभी ने उसे अपने हाथ में लिया
और कहा- रोज़ इसमे तेल
लगाया कीजिये। इस से ये और भी बड़ा और मोटा होगा।

भाभी के बूर को मै फ़िर से
सहलाते हुए पुछा - मुझे नही पता था कि इस के अन्दर इंतना बड़ा छेद होता है।

भाभी बोली - सुनिए, कल आप
आने लंड के बाल को शेव कर लीजियेगा। मै भी आज रात को शेव कर लूंगी। तब कल फिर आपको चोदने के और भी तरीके बताऊँगी। हाँ ये बात किसी को बताइयेगा नही

इसके
बाद भाभी ने मुझसे और भी कई तरीके से अपनी चुदवाई करवाई आज तक किसी को इस बात का नही चला